आतंक परिवार हो गया है
मैं घिर गया हूँ हर ओर से आतंक से
लगता है आतंक पहरेदार हो गया है
व्यवस्था बिखरा गई या दरपन में दरार है
तीसरे यह है आतंक सरकार हो गया है
आतंक से दूर कहीं घर द्वार सजाऊँ सोचा
किस शहर में मगर, आतंक संसार हो गया है
जरूर सब कुछ ऐसा ही है, पर सच ये भी है
अब आदत हो गयी है, आतंक परिवार हो गया है
आज 26/11 की बरसी है. ये रचना लगभग 20 साल पहले की है, जब पंजाब आतंक की गिरफ्त में था और लगता था कि अब देश बचेगा नहीं.
लेकिन देश है क्या ! एक भू भाग ! इतिहास में भारत का विचार बदलता रहा है, कभी भारत सप्त सिंधु केंद्रित था तो कभी मगध केंद्रित. भारत के प्राचीन इतिहास के कई स्थान, पुरुषवर, गंधार, मूलस्थान (मुल्तान) जो हमारे गौरव का हिस्सा थे आज पाकिस्तान / अफगानिस्तान का हिस्सा हैं जो हमारी घृणा का केन्द्र्बिन्दु है. इन 20 सालों में कुछ बदला नहीं, सिवा इसके कि पंजाब आतंक के सिकंजे से निकल गया पर और कितने ही क्षेत्र उसके चंगुल में आ गये. आज देश ( या कि दुनियां ) का कोई हिस्सा ऐसा नहीं जो कह सके कि हम आतंक मुक्त हैं.
आतंक से दूर कहीं घर द्वार सजाऊँ सोचा
जवाब देंहटाएंकिस शहर में मगर, आतंक संसार हो गया है
और फिर उस आतंक का क्या करें जो व्यक्ति के अन्दर है
२० साल पहले की रचना - पर उतनी ही प्रासंगिक जितनी तब थी ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रविष्टि । आभार ।
व्यवस्था बिखरा गई या दरपन में दरार है
जवाब देंहटाएंतीसरे यह है आतंक सरकार हो गया है
हिमाँशू जी ने सही कहा धन्यवाद्
२० साल बाद भी आज यह सच है ..अच्छा लिखा है आपने
जवाब देंहटाएंआतंक का आदत हो परिवार हो जाना ..
जवाब देंहटाएंइसके आगे क्या कहें, स्तब्ध कर दिया आप ने !
अब आतंक के साथ जीना सीखना पड़ेगा - जैसे - चोरी, उठाईगीरी, घूस, भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिकता, जातिवाद.... के साथ जीना हम सीख गए हैं।
किसी न किसी रूप में आतंक अपना कुरूप चेहरा उठाता ही रहता है।
जवाब देंहटाएंनिपटना होगा, अंदरूनी और बाहरी आतंक से।
आतंक हमेशा से ही एक समस्या रही है, क्योंकि हर समाज में दुर्जन होते ही हैं. और सज्जनों को सहने की आदत होती है.
जवाब देंहटाएंसच कह रहे है -इस समय तो चारो और अआतांक का दौर दौरा है !
जवाब देंहटाएंसच लिखा है ..... ये पूरी दुनिया ही आतांक का घर बन गयी है ...........
जवाब देंहटाएंSach kaha hai aapne ! Kabhi bhi koi bhi ghatana ghat saktee hai.. Dar ke saye me hai log!
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