शुक्रवार, 5 मार्च 2010

अलविदा हुसैन

आजकल प्रख्यात पेंटर एम एफ हुसैन के कतर की नागरिकता लेने की चर्चा जोरों पर है. और हम यूँ ही अपराधी से ग्लानि से भर उठे हैं. ग्लानि तो हुसैन को होनी चाहिये कि भारत जैसी विशाल पहचान को छोड़ कतर की पहचान ओढ़ ली. लोग कहते हैं उन्हें डर ने मजबूर किया. कैसा डर, किससे डर ? पूरा देश आतंक से ग्रसित है, क्या पूरे देश के लिये कतर में जगह है? या केवल कानून से डरने वाले लोगों के लिये. याद दिलायें कि भारत के कितने ही भगोड़े, दाउद समेत कतर और उसके कई पडौसी देशों में मुँह छिपाते हैं और वहाँ से भारत को घायल करते हैं. और तर्क ये कि ये देश आजाद हैं, रोक टोक से मुक्त. मुकदमों से मुक्त. इन देशों के धन के द्वार आतंकवादियों के लिये हमेशा खुले रहते हैं.


भारत का केवल 0.35% क्षेत्रफल है इस देश का और तेल कितना भी हो पानी दो बूंद भी नहीं. कुल नो लाख लोग रहते हैं वहाँ (जिसमें केवल तीन लाख नागरिक हैं और बाकी सब हुसैन जैसे). सचमुच भारत के सामने एक कतरा. पर हमें उस देश से शिकायत नहीं और न एम एफ हुसैन से. हुसैन जैसे धन और विवाद लोलुप सज्जन अक्सर विदेशों में ही रहते हैं. हुसैन के प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट मूवमेंट साथी फ्रांसिस न्यूटन सूजा हों या सितार वादक रविशंकर सबको विदेश पसंद आता है. वहाँ की आजाद और खुशनुमा हवा में विचार ज्यादा आते हैं ऐसा नहीं (ऐसा होता तो दुनियां की सबसे सुंदर पेंटिंग्स अजंता की अंधेरी गुफाओं में नहीं होती). मुझे तो शक है कि वहाँ की हवा आजाद और खुशनुमा है भी कि नहीं. कलाकारों और लेखकों पर जुल्म के किस्से भारत से कहीं ज्यादा विदेशों में मशहूर हैं. अब कतर को ही लें, कुछ साल पहले जब पैगम्बर साहब के बेहूदा कार्टून छपे तो कतर रोश प्रकट करने वाले देशों में आगे था (यहाँ तक कि सरकारी मीडिया के जरिये). धार्मिक सद्भाव की बात छिड़ी है तो ये भी कि हुसैन का धर्म बोहरा है जिसे अरब (कतर जिसका हिस्सा है) अच्छी नजर से नहीं देखते.

अगर आपसे किसी के विचार नहीं मिलते और वो आपका विरोध करता है तो आप उसे अपने प्रति विद्रोह मानेंगे और पूरे देश और समाज को दोषी कहेंगे. भले ही उस देश ने आपको सब बड़े बड़े पुरस्कार दे डाले हों. तो सार ये कि हुसैन जैसे लोग तफरीयन ये सब करते हैं, आजादी से उनका कोई वास्ता नहीं.

और ये भी कि भारत हुसैन से और उनके कतर से कहीं अधिक विशाल है, उसे शर्माने की आवश्यकता नहीं. उसे तो गर्व करना चाहिये अपने उन कलाकारों पर जिन्होंने हुसैन की तरह धन और नाम की आशा नहीं की और अजंता और उस जैसी कितनी ही अमर धरोहर छोड़ गये हमारे गौरव के लिये.

7 टिप्‍पणियां:

  1. aap ne vastvikta likhi hai aap ko bdhai
    husen jase bd dimag logno se aur kya ummid ki ja skti hai phle yhan kmaya khaya aur us pr yh ahsan framoshi dikhana us jaise vykti hi kr skte hai jra islam ke bare me kuchh bhi kh kr ya bna kr to dikhyen abhivykti ki svtntrta ka pta mint se phle chl jayega
    dr. ved vyathit

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  2. यह है बेहतर नज़र चीजों को देखने की, परखने की !
    बेहतर प्रविष्टि !

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  3. बहुत ही सुन्दरता से आपने वास्तविकता को बखूबी प्रस्तुत किया है! बहुत बढ़िया लगा!

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  4. "ऐसा होता तो दुनियां की सबसे सुंदर पेंटिंग्स अजंता की अंधेरी गुफाओं में नहीं होती"
    सुंदर शब्दों से सजा चिंतनपरक तथा तथ्यों और प्रमाणों से खुद को सही ठहराता बहुत बढ़िया आलेख - सोच और आलेख के लिए साभार धन्यवाद्.

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  5. koi comment nahi saaahib...


    sorry..
    par aapko padhaa to kuchh to kahnaa hi thaa naa....?

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  6. अब आगे देखिये क्या होता है ?

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