बुधवार, 24 फ़रवरी 2010

लला फिर आइयो खेलन होरी

होली आ रही है और ब्रज की होली तो सबसे निराली होती है, क्योंकि स्वयम राधा कृष्ण उतर आते हैं होली का आनंद लेने. उधर गिरिजेश के ब्लाग पर फाग महोत्सव जारी है, सो मैंने भी सोचा ब्रज के होली लोक गीत से ही मनाऊं होली.


नैक उरै आ श्याम
तोपे रंग डारूं

नैक उरै आ...
लाल गुलाल मलूं तेरे मुख सौ
गालन पै गुलचां मारूं
नैक उरै आ...



कौन गांव के कृष्ण कन्हइया
कौन गांव राधा गोरी
नैक उरै आ.....
नंद गांव के कृष्ण कन्हइया
बरसाने की राधा गोरी
नैक उरै आ.....

कोरे कोरे कलश भराये
उनमें केसर घोरी रे
नैक उरै आ.....
नैक उरै आ श्याम
तोपे रंग डारूं
नैक उरै आ...

कौन के हाथ पिचकरा सोहे
कौन के हाथ कमौरी रे
नैक उरै आ ...
कृष्ण के हाथ पिचकरा सोहे
राधा के हाथ कमौरी रे
नैक उरै आ ...

उड़त गुलाल लाल भये बादर
अबिर उड़े भरजोरी रे
नैक उरै आ ...
नैक उरै आ श्याम
तोपे रंग डारूं
नैक उरै आ...

शनिवार, 13 फ़रवरी 2010

ओ मेरे जीवन साथी

पिछले माह ठंड चरम पर थी और ऑफिस में काम भी कुछ अधिक रहा, तो लम्बे समय तक पोस्ट लिख न सका और न ही अच्छे अच्छे पोस्ट पढ़ सका. खैर, अब थोड़ा समय मिला है और मौसम बेहद सुहाना है और कल वेलंटाइन डे है.

चौदह फरवरी को हमारे विवाह की वर्षगांठ होती है. पर जब हमारी शादी हुयी थी तब हम नहीं जानते थे कि ये दिन वेलंटाइन डे है. ये तो पिछले कुछ सालों में एक नये उत्सव के रूप में उभरा है. प्यार को सेलीब्रेट करने का उत्सव. लेकिन इस दौरान इसे कितने ही विरोध झेलने पड़े क्योंकि समाज के एक हिस्से को लगा कि प्यार सड़कों और बाजारों में दिखाने वाली अनुभूति नहीं. ये निजी बात है और निजता बनी रहे तो बेहतर.

इसके लिये काफी हद तक इस उत्सव के समर्थक भी रहे जिन्होंने प्यार को फ्लर्टिंग और मौज-मस्ती से जोड़ कर पेश किया. वरना तो हमारे देश में प्रेम का उत्सव मनाने का बड़ा पुराना रिवाज है. और क्या संयोग है कि उसका समय भी यही होता है. बसंत का समय, जब ठंड जा चुकी होती है और मौसम बेहद मधुर होता है. चारो और बहार होती है, सुंदर रंग बिरंगे फूलों की. आम पर बौर आ चुका होता है और सरसों फूल रही होती है. इस उत्सव का नाम है, मदनोत्सव या कामोत्सव. यद्यपि अब ये उत्सव भुलाया जा चुका है. मदन अर्थात कामदेव. पश्चिम में जिसे क्यूपिड कहा जाता है. जिसका धनुष सुंदर फूलों का होता है और तीर चलने पर स्वर नहीं करता.



दुष्यंत शकुंतला, सोहनी महीवाल के भौतिक प्रेम से लेकर कृष्ण राधा के दैविक प्रेम तक, प्रेम प्रिय को और आराध्य को पाने की विधा रही है हमारे देश में. ऐसे में जब वेलंटाइन डे पर हुडदंग और प्रति हुडदंग होता है तो अजीब लगता है. खैर हमारे लिये तो यह एक तारीख है जब हम जीवनसाथी बनें, हमारी परंपरानुसार एक दो नहीं सात सात जन्मों के जीवन साथी. सो, आज हमें और सभी को हैप्पी वेलंटाइन डे.